Tehri Bandh Pariyojna
टिहरी बांध उत्तराखंड राज्य में भागीरथी और भिलंगना नदी के संगम पर बना बांध है। यह एक बहुउद्देशीय परियोजना है। यह बांध 260.50 मीटर ऊँचा है। यह मिट्टी और पत्थर से बना बांध है ,जिसे काफर बांध कहा जाता है। टिहरी बांध एशिया का सबसे ऊँचा और विश्व का चौथा सबसे ऊँचा बांध है। इस परियोजना की विशालता के कारण इसे " राष्ट्र का गांव " की संज्ञा दी गई है।
2400 मेगावाट की बिजली उत्पादन क्षमता वाली इस परियोजना के दो चरण है। पहले चरण में 1000 मेगावाट की टिहरी बांध एवं जल विधुत परियोजना है , जबकि दूसरे हरण में 1000 मेगावाट की टिहरी पंप स्टोरेज प्लांट तथा 400 मेगावाट की कोटेश्वर बांध एव जल विधुत परियोजना है। टिहरी बाध से 4 सुरंगे निकली गई है ,जिनमे से प्रत्येक 11 मीटर व्यास एवं घोड़े के नाल वाली आकार की है। इन सुरंगो की लम्बाई 6 किलोमीटर है।
टिहरी बांध का अन्य नाम स्वामी रामतीर्थ सागर है, जो की स्वामी रामतीर्थ जी के नाम पर रखा गया है। यह बांध 42 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला है। इसकी क्षमता 354 करोड़ घनमीटर है जिसमे 261 करोड़ घनमीटर जल क्रियाशील है। विधुत उत्पादन के लिए इस जलाशय के जल स्तर को कम से कम 740 मी( समुद्र तल से ) की उचाई तक बनाए रखना जरुरी होता है। इस परियोजना का पहला चरण 30 जुलाई 2006 को राष्ट्र को समर्पित किया गया।
Tehri Bachao Aandolan/
टिहरी बचाओ आंदोलन
टिहरी शहर और आस पास के क्षेत्र को बांध में डूबने और हजारो लोगो के विस्थापित होने के कारण इस बांध का विरोध हुआ। पर्यावरणीय और भूगर्भीय कारणों से भी यह बांध का विरोध होना स्वाभाविक था। बांध के विरोध में सबसे पहले आवाज टिहरी रियासत की राजमाता कमलेन्दुमति शाह ने उठाई थी। उनके बाद सन 1978 में विद्यासागर नौटियाल की अध्यक्षता में बांध विरोधी समित्ति का गठन हुआ।
समिति देहरादून से लेकर दिल्ली व लखनऊ तक निरन्तर संघर्ष करती रही। सुंदरलाल बहुगुणा , वीरेंद्र सकलानी आदि इस समिति से जुड़े रहे। 1979 में सकलानी ने समिति की और से बांध के विरोध में उच्चतम न्यायालय में याचिका भी दायर की थी। 1991 में सुंदरलाल बहुगुणा के नेतृत्व में समिति ने 76 दिनों तक बांध निर्माण को रोके रखा था।
भौगोलिक दृष्टि से इस क्षेत्र के नए होने के कारण यहाँ बार बार भूकंप आने का खतरा रहता है। यदि कभी बड़ा भूकंप आया तो इस क्षेत्र के साथ साथ पूरे उत्तर भारत के डूबने का खतरा है। यहाँ ध्यान देने लायक बात यह भी है की टिहरी बांध के ठीक नीचे 7.5 किमी नीचे भूकंप अधिकृत क्षेत्र महार टियर फ़ास्ट स्थित है , जो भूकंप की दृष्टि से बहुत खतरनाक है।
तमाम विरोधो के बावजूद बाढ़ का निर्माण नहीं रुका और दिसम्बर 2002 तक स्वामी रामतीर्थ की तपस्थली और सुंदरलाल बहुगुणा के चिपको आंदोलन का केंद्र रहा टिहरी शहर जल में डूब गया।
Adventures Sports at Tehri Dam/
टिहरी बांध में साहसिक पर्यटन
आज का टिहरी झील साहसिक खेलो के लिए प्रसिद्ध है। यह वाटर स्पोर्ट्स की अपार सम्भावनाओ को देखते हुए उत्तराखंड सरकार ने यहाँ खेलो को बढ़ावा देने का प्रयास किया है।
पैराग्लाइडिंग - टिहरी बांध के ऊपर पैराग्लिडिंग करने का अनुभव आपको रोमांच से भर देगा। हवा में उड़ते हुए जब आप पूरे टिहरी क्षेत्र को देखने का अनुभव जुबा से व्यक्त नहीं किया जा सकता।
बनाना बोट राइड - बनाना बोट राइड को हॉट डॉग राइड भी कहा जाता है। टिहरी झील में पीले रंग की इस बोट से पुरे झील का चक्कर लगाना सुखद आनंद देता है।
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