उत्तराखंड की यात्रा करने वाले विदेशी यात्री
उत्तराखंड के इतिहास बहुत गौरवपूर्ण रहा है। पहाड़ो ,घाटियों ,जंगलो तथा नदियों से युक्त यह क्षेत्र आदि काल से ही तपस्वियों , तीर्थयात्रियों तथा राजाओ के आकर्षण का केंद्र रहा है। प्रागैतिहासिक ,ऐतिहासिक और आधुनिक काल में अनेक विदेशी यात्रियों ने यहाँ की यात्रा की और यहाँ के इतिहास भूगोल और संस्कृति के बारे में लिखा।
विभिन्न कालो में यहाँ की यात्रा करने वाले यात्रियों का विवरण इस प्रकार है
ह्वेनसांग -- चीनी यात्री ह्वेनसांग ने 6 ठी शताब्दी में हर्षवर्धन के शासनकाल में हिमालय के
पो -लि -हि -मो -पु -लो ( ब्रह्मपुर ) राज्य की यात्रा की , जिसे आज उत्तराखंड कहते है। यह राज्य हर्ष के आधीन था और बौद्ध धर्म के लिए प्रसिद्ध था। उसने यहाँ पर 5 बौद्ध विहार होने का उल्लेख किया है।
हरिद्वार के बारे में ह्वेनसांग लिखता है कि " भगीरथी नदी के किनारे हरिद्वार
नामक नगर है , जो लगभग 20 ली
( चीनी माप ) के घेरे में है" कुछ समय पश्चात राज्य छोटे छोटे कोटो या गढ़ो में विभक्त हो गया। कुछ समय
पश्चात राज्य छोटे छोटे कोटो या गढ़ो में विभक्त हो गया। इन छोटे छोटे राज्यों में ब्रह्मपुर ,शत्रुघन और गोविषाण
राज्य मुख्य थे ,जिनमे सबसे बड़ा ब्रह्मपुर राज्य था। 6 वी शताब्दी में ब्रह्मपुर में पौरवो का शासन था। इस वंश के
प्रमुख शासको में विष्णु वर्मन प्रथम , वृष वर्मन,अग्नि वर्मन आदि का नाम आता है।
इस विघटन काल में उत्तराखंड में कई बाहरी आक्रमण भी हुए। चौहान नरेश विग्रह राज ने आक्रमण कर दक्षिणी उत्तराखंड पर तथा तोमर राजाओ ने पूर्वी उत्तराखंड के कुछ भाग पारर कब्ज़ा कर लिया था।
हर्ष की मृत्यु के बाद उत्तराखंड में उत्पन्न अराजकता की स्तिथि की समाप्ति 700 ईस्वी में कार्तिकेयपुर राजवंश की स्थापना के साथ हुई। 700 से 1000 ईस्वी तक इसकी राजधानी जोशीमठ ( चमोली जनपद ) के कही दक्षिण में कार्तिकेय पुर नमक स्थान पैर थी। बाद में इसकी राजधानी अल्मोड़ा के कत्यूर घाटी स्थित बैजनाथ ( बागेश्वर ) के पास वैधनाथ -कार्तिकेयपुर नामक स्थान पर बनाई गई। 700 से 1030 ईस्वी तक कार्तिकेय पुर राज्य पर तीन से अधिक परिवारों (वंशो ) ने राज्य किया।
इस का इतिहास इसके बागेश्वर , कंडारा , पाण्डुकेश्वर एव बैजनाथ आदि स्थानों से प्राप्त ताम्र लेखो के आधार पर लिखा गया है। अतः प्रामाणिक साख्यों के कारण इस राजवंश को उत्तराखंड ( कुमाऊँ ) का पहला ऐतिहासिक राजवंश माना गया है.
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