स्मार्ट सिटी क्या है ?
शुरुआत होने की तारीख:
स्मार्ट सिटीज मिशन (एससीएम); भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 25 जून, 2015 को शुरू किया गया था.
स्मार्ट सिटीज मिशन का उद्येश्य
स्मार्ट सिटीज मिशन (SCM) भारत में 100 शहरों के निर्माण के लिए एक शहरी विकास कार्यक्रम है.
स्मार्ट सिटी मिशन का उद्देश्य ऐसे शहरों को बढ़ावा देने का है जो मूल बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराएँ, अपने नागरिकों को एक सभ्य गुणवत्तापूर्ण जीवन प्रदान करे और एक स्वच्छ और टिकाऊ पर्यावरण एवं 'स्मार्ट' तरीके से संसाधनों का प्रयोग करें.अर्थात स्मार्ट सिटी मिशन स्थानीय विकास को सक्षम करने और प्रौद्योगिकी की मदद से नागरिकों के जीवन स्तर में सुधार
इस मिशन में शहरों के मार्गदर्शन करने के लिए कुछ पारिभाषिक सीमाएं अपेक्षित हैं। भारत में किसी भी शहर निवासी की कल्पना में, स्मार्ट शहर तस्वीर में ऐसी अवसंरचना एवं सेवाओं की अभीष्ट सूची होती है जो उसकी आकांक्षा के स्तर को वर्णित करती है। नागरिकों की आकांक्षाओं और जरूरतों को पूरा करने के लिए, शहरी योजनाकार को लक्ष्य आदर्श तौर पर पूरे शहरी पारिस्थितिकी तंत्र का इस प्रकार विकास करना होता है, जो व्यापक विकास के चार स्तंभों-संस्थागत, भौतिक, सामाजिक और आर्थिक अवसंरचना में दिखाई देता है। यह दीर्घावधिक लक्ष्य हो सकता है और शहर स्मार्टनेस की परते जोड़ते हुए संवर्धित रूप से ऐसी व्यापक अवसंरचना तैयार करने की दिशा में कार्य कर सकते हैं।
स्मार्ट सिटी मिशन का उद्देश्य ऐसे शहरों को बढ़ावा देना है जिनमें मूलभूत अवसंरचना हो और अपने नागरिकों को शानदार गुणवत्ता वाला जीवन दे सके। इसमें स्थिर और समावेशी विकास पर फोकस किया जाता है ।
देहरादून बनेगा उत्तराखण्ड का स्मार्ट सिटी
स्मार्ट सिटी मिशन लागू होने के बाद देहरादून में आधारभूत संरचनाओं का विकास किया जाएगा। इससे आने वाले समय में पर्वतीय लोगो को रोज़गार,स्वास्थ्य, शिक्षा आदि में सुधार देखने को मिलेगा।प्रदेश में रोजगार के अवसर बढ़ने से प्रति व्यक्ति आय में बढ़ोतरी होगी ।
स्मार्ट सिटी मिशन में आने वाला खर्च:
स्मार्ट सिटी मिशन एक केन्द्र प्रायोजित योजना है जिसमे केंद्र सरकार द्वारा मिशन को पांच साल में करीब प्रति वर्ष प्रति शहर 100 करोड़ रुपये औसत वित्तीय सहायता देने का प्रस्ताव है.
स्मार्ट सिटी मिशन के तहत दिसम्बर 2018 तक; 2,05,018 करोड़ रुपए के 5000 से ज्यादा स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की शुरुआत और कार्यान्वयन किया जा चुका है.
ऐसे चुने जाएगे स्मार्ट शहर
पहला चरण:
राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का चयन 2 दौर की चयन प्रक्रिया के आधार पर किया जाएगा । पहले दौर में राज्य / संघ राज्य क्षेत्रों के संभावित स्मार्ट शहरों को स्कोरिंग मानदंडों के आधार पर चुना जाता है. इसमें यह देखा जाता है कि किस शहर में कितनी सुविधाएँ और कितनी जनसँख्या है.
इस चरण में एक प्रदेश के विभिन्न शहरों के बीच में ही प्रतियोगिता होती है और जो शहर इस चरण में चुने जाते हैं उनको दूसरे चरण के लिए भेजा जाता है.
दूसरा चरण:
दूसरे दौर में शहरी विकास मंत्रालय शहरों का चयन करता है.
इस चरण में प्रत्येक शहर अपना स्मार्ट सिटी प्रस्ताव (एससीपी) प्रस्तुत करता है जिसमें यह जानकारी होती है कि किस वह शहर किस तरह का विकास मॉडल चुनेगा? यह मॉडल रेट्रोफिटिंग या पुनर्विकास या ग्रीनफील्ड विकास या इसके मिश्रण से बनाया जायेगा. इसके अलावा शहरों को यह भी बताना होता है कि वह अपने शहर में मौजूद समस्याओं को कैसे ख़त्म करेगा.
सभी स्मार्ट सिटी प्रस्ताव का मूल्यांकन एक समिति द्वारा किया जाएगा जिसमें अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय विशेषज्ञों, संगठनों और संस्थानों का एक पैनल शामिल होगा. इस दौर में जिस शहर का चयन होगा उसकी घोषणा शहरी विकास मंत्रालय द्वारा की जाती है.
स्मार्ट शहरों में मिलने वाली सुविधाएँ
1. बेहतर परिवहन सुविधाये
2. पर्याप्त पानी की आपूर्ति
3. बेहतर स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधाएँ
4. ठोस अपशिष्ट प्रबंधन सहित स्वच्छता
5 लगातार बिजली की सप्लाई ।
6. गरीबों और अन्य के लिए कम कीमत पर आवास
7. सुदृढ़ सूचना कनेक्टिविटी और डिजिटलीकरण
8.सुशासन, विशेष रूप से ई-गवर्नेंस और नागरिक भागीदारी
9.टिकाऊ पर्यावरण
10. नागरिकों की सुरक्षा रूप से महिलाओं, बच्चों एवं बुजुर्गों की देखभाल ।
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